ज्ञापन मुख्यमत्री और प्रधानमत्री के ज्ञापन कि भाषा एक ही हैं इसलिए आपको दिखाने के लिए सिर्फ माननीय मुख्यमंत्री का ज्ञापन पोस्ट किया जा रहा हैं कविताये अलग - अलग होने से प्रस्तुत कि जा रही हैं .
सेवा में, दिनांक- 12 अप्रेल 2025
माननीय मुख्यमंत्री महोदय,
राजस्थान सरकार।
विषय: राजस्थान सरकार से सादर अनुरोध है कि पीपा क्षत्रिय राजपूत समाज की जातीय पहचान सरकारी दस्तावेज -अभिलेखों में स्पष्ट रूप से दर्ज नहीं की गई हैं, पीपा क्षत्रिय राजपूत की जातीय पहचान को स्पष्टता से आधिकारिक रूप से दर्ज करने के साथ अन्य मांग पत्र का ज्ञापन।
मार्फत:- जिला कलेक्टर महोदय, जिला .........।
माननीय मुख्यमंत्री महोदय,
राजस्थान आपके कुशल नेतृत्व में दिन-प्रतिदिन नए आयाम स्थापित कर रहा है। आपकी दूरदर्शिता, प्रशासनिक क्षमता और समाज के प्रत्येक वर्ग के प्रति संवेदनशीलता अत्यंत प्रशंसनीय है। आपने सदैव वंचित और पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए प्रभावी कदम उठाए हैं, जिससे प्रदेश में सामाजिक सरसता और न्याय की नई मिसाल कायम हुई है। आपके नेतृत्व में राजस्थान न केवल विकास की राह पर तेजी से अग्रसर है, बल्कि हर नागरिक को सम्मान और समान अवसर प्रदान करने का कार्य भी हो रहा है।
हम, पीपा क्षत्रिय राजपूत समाज, आपके इन प्रयासों की सराहना करते हैं और आपके प्रति हृदय से आभार व्यक्त करते हैं।
माननीय जी, समस्त पीपा क्षत्रिय राजपूत समाज का सविनय सादर निवेदन है कि पीपा क्षत्रिय राजपूत समाज एक ऐतिहासिक, गौरवशाली और वीर परंपरा से जुड़ा हुआ समाज है, जिसका सांस्कृतिक, सामाजिक एवं राष्ट्र निर्माण में अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान रहा है। यह समाज मुख्य रूप से राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, केरला, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल, पंजाब, तमिलनाडु, कर्नाटक, छत्तीसगढ़,एवं हरियाणा के साथ सम्पूर्ण भारत में फैला हुआ है वर्तमान में “पीपा क्षत्रिय राजपूत” समाज कि अनुमानित जनसँख्या लगभग 1 करोड़ के आस-पास हैं और यह समाज अहिंसक क्षत्रिय राजपूत समुदाय के रूप में पहचाना जाता है।
गौरवशाली इतिहास फिर क्यों जातीय पहचान गुमनाम
“पीपा क्षत्रिय राजपूत” समुदाय की जातीय पहचान आज तक सरकारी अभिलेखों में स्पष्ट रूप से दर्ज नहीं की गई है। यह समुदाय भारत के गौरवशाली क्षत्रिय इतिहास का अभिन्न अंग रहा है, किंतु राजनेतिक साजिस के तहत एवं प्रशासनिक उपेक्षा के कारण इसकी पहचान सरकारी रिकॉर्ड से लुप्त हो गई है। वर्तमान में “पीपा क्षत्रिय राजपूत” को केंद्र एवं राज्य सरकारों के विभिन्न पिछड़ा वर्ग (OBC) समूहों में दरजी वर्ग के अंतर्गत रखा गया है, जबकि यह समुदाय स्वयं को “पीपा क्षत्रिय राजपूत” के रूप में मान्यता प्राप्त कराना चाहता है। सरकारी अभिलेखों में इस समाज की जातीय पहचान स्पष्ट रूप से “पीपा क्षत्रिय राजपूत” के रूप में दर्ज नहीं की गई है, जिससे इस समाज को कई प्रशासनिक एवं सामाजिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
आजादी के बाद से लेकर आज तक पीपा क्षत्रिय राजपूत समुदाय ही एकमात्र ऐसा समुदाय है जिसकी जातीय पहचान किसी भी सरकारी दस्तावेज में दर्ज नहीं की गई है। यह समाज अपने गौरवशाली इतिहास और समृद्ध संस्कृति के बावजूद एक बड़ी प्रशासनिक भूल और राजनीतिक साजिश का शिकार हो गया है, जिसके कारण इसकी जातीय पहचान अब तक आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त नहीं कर सकी है।
पीपा क्षत्रिय राजपूत एक प्राचीन और अपने आप में स्पष्ट जातीय पहचान वाला समुदाय है, जिसकी उत्पत्ति संत पीपा जी से जुड़ी हुई है। यह समुदाय ईमानदारी, सत्य, भक्ति, परोपकार और राष्ट्रसेवा के मूल्यों का पालन करता आया है। लेकिन समय के साथ सरकारी उपेक्षा, सरकारी मान्यता के जातीय अस्पष्टता और सामाजिक भेदभाव के कारण इस समुदाय की स्थिति लगातार कमजोर होती जा रही है।
संत पीपा जी के बारे में:-
हमारे समाज के प्रेरणास्त्रोत संत शिरोमणि श्री पीपा जी थे, जो कार्तिक शुक्ल पक्ष पूर्णिमा, 1380 विक्रम संवत में गागरोन गढ़, झालावाड़ (राजस्थान) में जन्मे थे। वे सूर्यवंशी खींची चैहान वंश से थे और अपने समय के महान संतों में से एक थे। उन्होंने संत रामानंदाचार्य जी से दीक्षा ग्रहण की और राजपाट, वैभव एवं विलासिता का त्याग कर आध्यात्मिक साधना के पथ पर अग्रसर हुए।
पीपा क्षत्रिय राजपूत- इतिहास, भक्ति चेतना में योगदान
संत पीपा जी ने सत्य, अहिंसा और आध्यात्मिक भक्ति का संदेश दिया, जिससे समाज में धर्म, समानता और नैतिकता की भावना जागृत हुई। संत पीपा जी की भक्ति चेतना से प्रेरित होकर ऐतिहासिकरूप से 51 से अधिक शक्तिशाली राजपूत राजाओं और उनकी प्रजा ने अहिंसा, आध्यात्मिक भक्ति, सत्य, और परोपकार के मार्ग के साथ, अपनी आजीविका के लिए सिलाई एवं कृषि कार्य को अपनाया। उनके वंशज आज भी 1 करोड़ से अधिक “पीपा क्षत्रिय राजपूतों” के रूप में सम्पूर्ण भारत में मौजूद हैं, जो धार्मिक एवं जातीय अस्पष्टता के चलते “दरजी” कहलाये जा रहे हैं।
फारसी भाषा में सिलाई करने वाले को “दरजी” बोला जाता हैं, यही कारण रहा कि इतिहास में आई गलत धारणाओं के चलते, इस समाज को “दरजी” शब्द से संबोधित किया जाने लगा, जबकि वास्तविकता में हमारा समाज अपने मूल स्वरूप में ष्क्षत्रिय राजपूत समाजष् का ही एक अभिन्न अंग है।
“दरजी” शब्द कि उत्पति कहाँ से हुई-
“दरजी” शब्द की उत्पत्ति फारसी (Darzi) भाषा से हुई है। फारसी में इसे ”(Darzi)” कहा जाता है, जिसका अर्थ होता है “सिलाई करने वाला” या “टेलर (Tailor)”। यह शब्द फारसी से उर्दू और फिर हिंदी एवं पंजाबी भाषा में आया।
मुगल काल (बाबर, अकबर, जहांगीर के शासन) के दौरान फारसी भाषा का भारतीय भाषाओं पर गहरा प्रभाव पड़ा। इसी काल में फारसी के कई शब्द उर्दू और हिंदी में शामिल हुए, जिनमें “दरजी” (Darzi) भी एक था। अगर हम मुगलकालीन ग्रंथों और ऐतिहासिक दस्तावेजों को देखें, तो उनमें “दरजी” शब्द का उल्लेख “सिलाई करने वाले कारीगरों” के लिए किया गया है।
15वीं शताब्दी के “पीपा क्षत्रिय राजपूत” समाज पर 16 शताब्दी का “दरजी” शब्द लागू क्यों:
“दरजी” शब्द भारत में 16वीं शताब्दी में फारसी प्रभाव के कारण अस्तित्व में आया, जबकि “पीपा क्षत्रिय राजपूत” पहले से ही 15वीं शताब्दी में भक्ति और सामाजिक चेतना के मार्ग पर अग्रसर हो चुके थे।
15वीं शताब्दी में भक्ति चेतना जागृत करने वाले संत पीपा जी के वंशजों को किसी बाद में प्रचलित शब्द के आधार पर गलत रूप से वर्गीकृत नहीं किया जाना चाहिए। “दरजी” शब्द की फारसी उत्पत्ति स्पष्ट है और इसका पीपा क्षत्रिय राजपूतों से कोई संबंध नहीं। यह एक ऐतिहासिक भूल है।
समय के साथ गलत वर्गीकरण और प्रशासनिक त्रुटियों के कारण पीपा क्षत्रिय राजपूतों का सिलाई कार्य करने एवं निम्न आयवर्ग का होने से “दरजी” शब्द को ‘’पीपा क्षत्रिय राजपूतों’’ के साथ जोड़ दिया गया, जबकि प्रशासन OBC वर्ग में “दरजी” शब्द के साथ ‘’पीपा क्षत्रिय राजपूत’’ का जातीय शब्द प्रशासनिक त्रुटि से लिखना भूल गए, जिसके परिणामस्वरूप ‘’पीपा क्षत्रिय राजपूतों’’ की वास्तविक पहचान धूमिल हो गई और उन्हें एक गलत जातिगत वर्गीकरण में डाल दिया गया, जिसे अब सुधारने की आवश्यकता है।
इस प्रशासनिक त्रुटि के कारण आज ‘’पीपा क्षत्रिय राजपूत’’ कि जनसँख्या में भारी गिरावट आई है, क्योंकि उनकी जातीय पहचान स्पष्ट न होने के कारण कुंठा से ग्रस्त होकर कई लोग धार्मिक और सामाजिक रूप से दूसरी जातियों या धर्मो में सम्मिलित हो गए।
इतिहास साक्षी है कि 1950 तक ‘’पीपा क्षत्रिय राजपूत’’ समुदाय एक सशक्त और प्रभावशाली जाति के रूप में स्थापित था, जिसकी जनसंख्या मूल राजपूतों से भी अधिक थी। परंतु, राजनीतिक उपेक्षा एवं प्रशासनिक अनदेखी के कारण यह समुदाय धीरे-धीरे अल्पसंख्यक स्थिति में पहुंच गया। दुर्भाग्यवश, प्रशासनिक स्तर पर आवश्यक पहचान न मिलने के कारण ‘’पीपा क्षत्रिय राजपूत’’ जाति आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है।
यद्यपि सामाजिक और आर्थिक रूप से ‘’पीपा क्षत्रिय राजपूत’’ समुदाय पिछड़ेपन का सामना कर रहा है, केंद्र एवं राज्य सरकारों ने इसे “दरजी” शब्द के संबोधन से अन्य पिछड़ा वर्ग में सम्मिलित किया हुवा हैं लेकिन इस समुदाय का राजनैतिक साजिस से ‘’पीपा क्षत्रिय राजपूत’’ जातीय पहचान नाम का स्पष्ट वर्णन सरकारी अभिलेखों में दर्ज नहीं हो पाया। वर्तमान में, “दरजी” जाति के साथ ‘’पीपा क्षत्रिय राजपूत’’ का स्पष्ट वर्णन नहीं होने से समुदाय को संवैधानिक लाभों से वंचित रहना पड़ रहा है।
अतः आवश्यकता है कि सरकार इस गलती को सुधारे, ‘’पीपा क्षत्रिय राजपूत’’ की सही जातीय पहचान को दर्ज करे और उनके अधिकारों को पुनः स्थापित करे। साथ ही, पीपा क्षत्रिय राजपूतों की स्पष्ट जातीय पहचान ‘’पीपा क्षत्रिय राजपूत’’ को व्ठब् वर्ग में “दरजी” के स्थान पर दर्ज किया जाए, ताकि इस समुदाय को उनके संवैधानिक अधिकार प्राप्त हो सकें।
सरकारी उपेक्षा और पहचान का संकट:-
1. जातीय अस्पष्टता और पहचान का संकट
आज कई लोग “दरजी” जाति को लेकर भ्रम की स्थिति में हैं, इस क्षेत्र में विभिन्न धार्मिक और जातीय समूहों का प्रभाव बढ़ा है। ष्सिलाई कार्य के कारणष् बहुत सी जातियां “दरजी” कहलाई जाती हैं “दरजी” जाति में सर्वाधिक मुस्लिम और अन्य समुदायों का प्रभाव अधिक होने के कारण पीपा क्षत्रिय राजपूतों की स्पष्ट जातिय पहचान धुंधली पड़ गई है।
पीपा क्षत्रिय राजपूत एक स्वतंत्र और विशिष्ट जातीय पहचान वाला समुदाय है, जिसकी उत्पत्ति और इतिहास अलग है।
इस जाति के लोग कभी धोखाधड़ी, अपराध या अन्याय का हिस्सा नहीं बने, जिससे अन्य प्रभावी जातियों की तुलना में इनकी स्थिति कमजोर होती चली गई।
2. सरकारी उपेक्षा से विलुप्ति की ओर बढ़ता समुदाय
एक समय पीपा क्षत्रिय राजपूतों की जनसंख्या पुरे भारत में 2 करोड़ से अधिक थी, लेकिन आज यह संख्या सरकारी बेरुखी, सामाजिक भेदभाव, जातीय पहचान की अस्पष्टता, पहचान संकट और सरकारी अवहेलना के कारण तेजी से घट रही है। सरकार द्वारा जातीय और धार्मिक पहचान को स्पष्ट रूप से दर्ज न करने, सही जनगणना न करवाने और सामाजिक न्याय न देने के कारण “पीपा क्षत्रिय राजपूत” समुदाय तेजी से विलुप्ति की ओर बढ़ रहा है।
सरकार ने कभी इस समुदाय की सही जनगणना नहीं करवाई, जिससे उनकी सटीक संख्या और सामाजिक स्थिति को मान्यता नहीं मिल पाई।
जातीय और धार्मिक अस्पष्टता के कारण कई पीपा क्षत्रिय राजपूतों को अपने धर्म और जाति में परिवर्तन करने पर मजबूर होना पड़ा।
पहचान की कमी के कारण यह समुदाय न तो सरकारी योजनाओं का लाभ उठा पाया और न ही सामाजिक सुरक्षा हासिल कर पाया। यदि आने वाले समय में इस समुदाय की सुरक्षा, पहचान और अधिकारों को सुरक्षित नहीं किया गया तो “पीपा क्षत्रिय राजपूत” समुदाय विलुप्त होकर, इनकी पहचान हमेशा के लिए खत्म हो सकती है।
3. अत्याचार और संपत्ति हड़पने की समस्या
पीपा क्षत्रिय राजपूतों की शांतिप्रिय और ईमानदार छवि के कारण कई प्रभावशाली लोग उनकी जमीन-जायदाद और मकान पर अवैध कब्जा कर लेते हैं।
यह समुदाय कानूनी लड़ाई और राजनीतिक शक्ति के अभाव के कारण अपनी संपत्तियों को बचाने में असमर्थ हो जाता है।
इन पर कई बार सामाजिक, आर्थिक और मानसिक रूप से अत्यधिक अत्याचार होता है, लेकिन सरकार और प्रशासन कोई ध्यान नहीं देता।
“पीपा क्षत्रिय राजपूत” समुदाय का देश को योगदान”
हमारा पीपा क्षत्रिय राजपूत समुदाय सदा से ही राष्ट्रभक्ति एवं वीरता का प्रतीक रहा है। इतिहास में हमारे समाज के योद्धाओं ने टोडा का युद्ध, गागरोन का युद्ध एवं अन्य महत्वपूर्ण संघर्षों में भाग लेकर विदेशी आक्रमणकारियों से मातृभूमि की रक्षा हेतु अपने प्राणों का बलिदान दिया।
पीपा क्षत्रिय राजपूत न केवल अपने शौर्य, भक्ति और ईमानदारी के लिए प्रसिद्ध हैं, बल्कि उनकी पारंपरिक संस्कृति और परिधान ने भी भारतीय समाज को विशेष पहचान दी है। जोधपुरी कोट, शेरवानी और अन्य राजसी परिधानों का सृजन पीपा क्षत्रिय राजपूतों द्वारा किया गया है, जो आज भी भारतीय और वैश्विक फैशन में अपनी विशेष छाप छोड़ रहे हैं, विश्व प्रसिद्ध सिल्क, बंधेज, जरी कढ़ाई और हैंडलूम उद्योगों में भी इनका अहम योगदान है।
व्यापार और वैश्विक पहचान: पीपा क्षत्रिय राजपूतों ने Parle G, Thumps Up Maaza और Bisleri जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों को स्थापित कर न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में अपनी पहचान बनाई। ‘’पीपा क्षत्रिय राजपूत’’ समुदाय ने औद्योगिक और व्यापारिक क्षेत्र में भारत की साख को बढ़ाया, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली।
आज भी हमारा समाज पूर्ण निष्ठा और ईमानदारी के साथ राष्ट्र निर्माण में योगदान दे रहा है। हमारे लोग कृषि, सेना, व्यापार एवं अन्य व्यवसायों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
जब भारत की पहचान में हमारा योगदान, तो हमारी पहचान से भेदभाव क्यों?
इतने महत्वपूर्ण योगदान के बावजूद, सरकारी उपेक्षा और सामाजिक असमानता के कारण पीपा क्षत्रिय राजपूतों को उनका उचित सम्मान नहीं मिल पाया।
सरकार ने कभी उनकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को विशेष मान्यता नहीं दी।
समाज में जातीय और धार्मिक अस्पष्टता के कारण यह समुदाय पहचान संकट और सामाजिक उपेक्षा का शिकार हो गया।
सरकारी उपेक्षा और पहचान का संघर्ष
इतना योगदान देने के बावजूद पीपा क्षत्रिय राजपूत आज सरकारी बेरुखी और अवहेलना का शिकार हैं। प्रशासनिक उपेक्षा और सामाजिक स्तर पर पहचान के संकट के कारण यह समुदाय अपने इतिहास, परंपरा और गौरव को बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहा है। उनकी राजनीतिक, शैक्षणिक और सामाजिक स्थिति पर संकट उत्पन्न हो गया हैं, विडंबना यह है कि गलत ऐतिहासिक व्याख्या, राजनैतिक साजिस एवं प्रशासनिक त्रुटियों के कारण, हम पीपा क्षत्रिय राजपूत समुदाय ने अपनी वास्तविक पहचान को खो दिया है।
पीपा क्षत्रिय राजपूतों के गुण एवं विशेषताएँ:-
1. आध्यात्मिकता और नैतिकतार: संत पीपा जी की शिक्षाओं से प्रेरित होकर यह समाज आध्यात्मिक सोच को अपनाता है, भक्ति, प्रेम और सत्य का पालन करना इनका जीवन मूल मंत्र है।
2. ईमानदारी और निष्ठा: पीपा क्षत्रिय राजपूत कभी किसी के साथ अन्याय या छल-कपट नहीं करते, वे विश्वास के योग्य होते हैं और हर कार्य में निष्पक्षता एवं ईमानदारी का परिचय देते हैं।
3. देशभक्ति और सेवा भावना: यह समाज हमेशा देश के प्रति समर्पित रहा है, चाहे वह सेना, प्रशासन या उद्योग का क्षेत्र हो, इन्होंने ईमानदारी और मेहनत से न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी अपना नाम रोशन किया।
4. साहस और परोपकारर: पीपा क्षत्रिय राजपूत हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तत्पर रहते हैं, वे कभी किसी को धोखा नहीं देते और हमेशा न्याय और सत्य का साथ देते हैं।
5. सदद्भाव और समाजसेवा: पीपा क्षत्रिय राजपूत समाज में शांति और प्रेम को बढ़ावा देते हैं,जाति, धर्म, संप्रदाय से ऊपर उठकर यह समाज सर्वजन हिताय के सिद्धांत पर चलता है।
संत पीपा जी की शिक्षाएँ: समाज के नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों की आधारशिला
संत पीपा जी की शिक्षाएँ समाज को आध्यात्मिकता, भक्ति, प्रेम और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं। वे न केवल भक्ति आंदोलन के महत्वपूर्ण संत थे, बल्कि समाज में नैतिकता, ईमानदारी और परोपकार को भी स्थापित करने वाले मार्गदर्शक थे। उनका जीवन हमें बताता है कि आध्यात्मिकता केवल साधना तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज में प्रेम, सत्य और सेवा के रूप में भी अभिव्यक्त होती है।
उनकी शिक्षाएँ समाज को निष्पक्षता, ईमानदारी और निष्ठा के साथ कार्य करने की प्रेरणा देती हैं। संत पीपा जी हमेशा न्याय और सत्य के समर्थक रहे, उन्होंने कभी भी अन्याय या छल-कपट को स्वीकार नहीं किया। उनके विचारों में यह स्पष्ट झलकता है कि सच्ची भक्ति केवल मंदिरों तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह समाज के हर पहलू में परिलक्षित होनी चाहिए। उन्होंने सेवा और परोपकार को सर्वोच्च स्थान दिया, जिससे समाज में एकता और सद्भावना को बढ़ावा मिला।
संत पीपा जी के आदर्शों के अनुसार, व्यक्ति को न केवल अपने आत्मिक उत्थान के लिए प्रयास करना चाहिए, बल्कि समाज के कल्याण हेतु भी समर्पित रहना चाहिए। उनकी शिक्षाएँ हमें यह सिखाती हैं कि सच्ची भक्ति वही है, जो मानवता की सेवा से जुड़ी हो। यदि उनके विचारों को विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाए, तो आने वाली पीढ़ियाँ नैतिकता, ईमानदारी, देशभक्ति और साहस के मूल्यों को अपनाकर समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकती हैं। इससे न केवल एक सशक्त समाज का निर्माण होगा, बल्कि राष्ट्र की उन्नति और एकता भी सुनिश्चित होगी। उनके ऐतिहासिक योगदान को पाठ्यक्रम में सम्मिलित कर यह दर्शाया जाना चाहिए कि कैसे उन्होंने 51 हिंदू राजाओं को आध्यात्मिकता की पहचान करवाई।
पीपा क्षत्रिय राजपूत एक ईमानदार, शांतिप्रिय और कर्मठ समुदाय है, जिसने हमेशा देश और समाज की सेवा की है। लेकिन सरकार और समाज की बेरुखी के कारण यह समुदाय अपमान, उपेक्षा और अन्याय का शिकार हो रहा है। यदि समय रहते इनकी पहचान को संरक्षित नहीं किया गया, तो यह समुदाय धीरे-धीरे समाप्ति की ओर बढ़ जाएगा। सरकार को इस समुदाय के अधिकारों और पहचान की रक्षा करने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए।
हमारी प्रमुख माँगेंर
हम, पीपा क्षत्रिय राजपूत समाज के समस्त नागरिक, राजस्थान सरकार से अनुरोध करते हैं कि -
1. पीपा क्षत्रिय राजपूत को केंद्र एवं राज्य सरकारों के विभिन्न पिछड़ा वर्ग (OBC) समूहों में दरजी वर्ग के अंतर्गत रखा गया है, जबकि यह समुदाय स्वयं को “पीपा क्षत्रिय राजपूत” के रूप में मान्यता प्राप्त करना चाहता है। सरकारी अभिलेखों में इस समाज की जातीय पहचान स्पष्ट रूप से “पीपा क्षत्रिय राजपूत” के रूप में दर्ज नहीं की गई है, जिससे इस समाज को कई प्रशासनिक एवं सामाजिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। सिलाई एवं कृषि जैसे ईमानदारी के कार्यो के चलते पिछड़ा होने के कारण, गलत धारणा से पीपा क्षत्रिय राजपूत को “दरजी” शब्द से पुकारा गया एवं राजस्थान राज्य की अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) सूची में क्रमांक 13 पर पीपा क्षत्रिय राजपूत को “दरजी” वर्ग सूचि में रखा गया हैं, वास्तविकता में ‘’पीपा क्षत्रिय राजपूतों’’ को व्ठब् वर्ग के “दरजी” वर्ग के साथ ‘’पीपा क्षत्रिय राजपूत’’ की स्पष्ट जातीय पहचान के साथ रखा जाना चाहिये था, इसलिए राजस्थान राज्य की अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) सूची में क्रमांक 13 में दर्ज “दरजी” शब्द के साथ ‘’‘’दरजी / पीपा क्षत्रिय राजपूत’’ ’’ जोड़ा जाए, जिससे अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) सूची के क्रमांक 13 में ‘’दरजी / पीपा क्षत्रिय राजपूत’’ के रूप में संशोधित किया जा सके और इस वर्ग को ‘’पीपा क्षत्रिय राजपूत’’ से संबोधित किया जा सके।
2. समाज की ऐतिहासिक और सामाजिक पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए सरकारी दस्तावेजों में हमारी वास्तविक पहचान को मान्यता दी जाए। साथ ही पीपा क्षत्रिय राजपूतों की स्पष्ट जातीय पहचान ‘’पीपा क्षत्रिय राजपूत’’ OBCवर्ग में दर्ज किया जाए।
3. राज्य में ‘’पीपा क्षत्रिय राजपूतों’’ की सही जनगणना करवाई जाए ताकि पीपा क्षत्रिय राजपूतो का आर्थिक, राजनैतिक एव सामाजिक पतन और पीपा क्षत्रिय राजपूत के विलुप्ति को बढ़ने से रोजा जा सके। पीपा क्षत्रिय राजपूतों की सामाजिक स्थिति को सुधारने और उनके अधिकारों की रक्षा करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।
समाज को उनकी सही जातिगत पहचान मिलने से उनकी सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक उन्नति को बल मिलेगा।
आपके कुशल नेतृत्व, दूरदर्शिता और न्यायप्रियता ने राज्य को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। आपके प्रशासनिक कौशल और जनकल्याणकारी नीतियों से समाज के हर वर्ग को न्याय और समानता मिली है।
हमें पूर्ण विश्वास है कि आपकी संवेदनशीलता और दृढ़ संकल्प से हमारी न्यायपूर्ण जातीय पहचान की मांग भी बिना किसी आंदोलन के सहजता से पूर्ण होगी।
आपका हर निर्णय समाज को नई दिशा देता है, और हम भी इसी आशा के साथ आपके समक्ष उपस्थित हैं। कि आप हमारे इस न्यायोचित निवेदन पर शीघ्र उचित निर्णय लेंगे और पीपा क्षत्रिय राजपूत समाज को उसका उचित स्थान प्रदान करेंगे।
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा जी के लिए
हमारी भावनाओं को व्यक्त करने हेतु एक कविता:-
राजस्थान की धरा सजी, प्रगति के नव श्रृंगार से,
भजनलाल जी के नेतृत्व में, बढ़ी समृद्धि, अपार से।
हर गाँव-शहर में रौशनी, सड़कों का विस्तार हुआ,
हर किसान के चेहरे पर, अब तो नव संचार हुआ।
जल संकट से लड़ा प्रदेश, हर खेत को पानी मिला,
हर घर तक सुविधा पहुँची, हर श्रमिक को मान मिला।
शिक्षा, उद्योग, परिवहन, हर कोना अब संवर गया,
राजस्थान की छवि नई, फिर से सोने सा निखर गया।
हे मान्यवर भजनलाल जी, राजस्थान के कर्मवीर.......
सुनो हमारी न्याय पुकार, पहचान दर्ज हो फिर।
वीरों की संतान हम, फिर क्यों दरजी कहलाए?
इतिहास के सच को, क्यों रखा झूठ में छुपाए?
पीपा जी के वंशज हम, शौर्य जिसका आधार,
फिर भी अपनी पहचान को, क्यों होना पड़ा लाचार?
कभी राज किया रणभूमि में, आज क्यों पड़े किनारे?
जो कभी रणधीर रहे, अब बन गए बेचारे।
राजस्थान की पावन धरती, शौर्य गाथा गाती,
पीपा वंश के वीरों की, अमर कहानी बताती।
हर युद्ध में लहू बहाया, फिर भी क्यों अपमान,
इतिहास में स्वर्णिम नाम, फिर भी पहचान हैं वीरान।
राजपूताना के रणबांकुरे, कभी झुके ना हार मानी,
फिर क्यों हमसे छीनी गई, वंश की सच्ची निशानी?
वीर वंश के तारे, संत पीपा के अनुयायी,
क्षत्रिय हृदय में बसें, हम रण के मतवाले।
संत के आदर्शों को, शौर्य से हमने संवारा,
राजपूती रक्त में, भक्ति का रंग उतारा।
माननीय मुख्यमंत्री जी, आप न्याय के देवता,
आपकी कृपा से ही, मिलेगा हमें ये हक संपूर्णता।
Parle G के निर्माता, जोधपुरी कोट के सृजनहार,
अपनी पहचान को तरसते, इतिहास जिनका हैं अपार।।
स्वतंत्रता के बाद हमें, दरजी नाम मिला,
शौर्य हमारे वंश का था, इसलिए अपमान सह न सका।
हम भी हैं वही रक्त, वही तेज लिए,
शौर्य और भक्ति के संग देश के लिए जिए।
मुख्यमंत्री जी, अब आप ही हैं हमारी आस,
आपके न्याय से ही बदलेगा, वर्षों पुराना इतिहास।
संत पीपा ने धर्म चलाया, सत्य का प्रकाश था छाया,
क्षत्रिय वंश जिनसे जागा, जो पीपा क्षत्रिय कहलाया।
संत पीपा के हम हैं अनुयायी, सत्य-पथ के गायक,
अपनी पहचान लौटा दो, हम हैं वीरों के नायक।
भजनलाल जी, हे जननायक, अब सुनो हमारी पुकार,
पीपा क्षत्रिय राजपूतों को, लौटाओ उनका अधिकार।
गौरवशाली इतिहास हमारा, फिर भी अनदेखा क्यों रहा?
क्षत्रिय कुल के वंशज हैं हम, फिर भी सम्मान क्यों ढहा?
हे मान्यवर भजनलाल जी, राजस्थान के कर्मवीर.......
सुनो हमारी न्याय पुकार, पहचान दर्ज हो फिर।.........
जैसे राजस्थान संवारा, हमें भी हक दिलाओ,
पीपा क्षत्रिय राजपूत की पहचान, अब तो दर्ज कराओ।
वीरों की इस धरती पर, हमें भी स्थान मिले,
जो भूला गया वर्षों से, वो फिर से सम्मान मिले।
हक हमारा अब दिलवाओ, न कोई और विलंब हो,
पीपा क्षत्रिय राजपूत का नाम, हर जगह प्रचलित हो।
सादर,
अध्यक्ष, पीपा क्षत्रिय राजपूत समाज, राजस्थान
समस्त पीपा क्षत्रिय राजपूत समुदाय
प्रधानमत्री नरेन्द्र भाई मोदी जी के लिए
हमारी भावनाओं को व्यक्त करने हेतु एक कविता:-
रामलला का भव्य धाम, सबके मन को भाया,
मोदी जी के संकल्प से, भारत ने गौरव पाया।
जो असंभव था सदियों से, वो पल में कर दिखाया,
हर हिंदुस्तानी के हृदय में, आशा का दीप जलाया।
प्रधान सेवक के चरणों में, हम सबकी अरज यही,
रामजी का मंदिर बना, अब हमें भी न्याय मिले सही।
किसन लाला, मही राज के सूर, झुंझ, मुखुंद मन, पीपा वंश धुर।
शौर्य की ज्योति, तेजस्वी विचार, रण में अडिग, समर्पण अपार।।
पीपा जी के वंशज हम, राजपूत रक्त हमारा,
अहिंसा अपनाई हमने, फिर क्यों छीना वजूद का सहारा?
मोदी जी, आपकी नीति से, देश हुआ सशक्त,
हर कोने में प्रगति दिखी, हर क्षेत्र में विकास स्पष्ट।
पर हमारी पहचान छुपी है, हमें मिलना चाहिए अधिकार,
आपका नेतृत्व न्यायप्रिय है, हमें भी मिले न्याय अपार।
रामलला का मंदिर खड़ा, अब भव्य अयोध्या मुस्काई,
मोदी जी के सच्चे संकल्प से, हर आस्था हरषाई।
पांच शताब्दियों की पीड़ा, इक झटके में मिटा दी,
संकल्प से श्रीराम बसे, धरती फिर से सजा दी।
अब न्याय की फिर बात उठी, एक और घड़ी आई,
पीपा क्षत्रिय राजपूतों की, पहचान जो धूमिल पाई।
जो कभी थे योद्धा वीर, रणभूमि में लहराए,
इतिहास के झंझावातों में, क्यों नाम बदलाए?
पीपा के वंशज हम राजपूत, फिर क्यों नाम बदला?
इतिहास के पन्नों में देखो, सच का हैं दीपक जला।
सिलाई-कढ़ाई अपनाई, पर शौर्य कभी न छोड़ा,
अहिंसा के मार्ग चले, पर स्वाभिमान न तोड़ा।
परंपरा की सच्ची गाथा, क्यों दरजी कहलाई?
पीपा के वंशज आज भी, हक की राह न पाई।
मोदी जी, हे युग निर्माता, न्याय का दीप जलाओ,
पीपा क्षत्रिय राजपूतों को, उनका अधिकार दिलाओ।
जो रण में थे अजेय कभी, वो क्यों आज लाचार?
हमारी सच्ची पहचान मिले, बढ़े स्वाभिमान अपार।
देश सुरक्षित, सीमा सशक्त, दुनिया में बढ़ी शान,
हर ओर जय-जयकार हुई, बना भारत महान।
अंतरिक्ष में तिरंगा लहराया, चंद्रयान ने छुआ चाँद,
आत्मनिर्भर भारत बना, बढ़ी उद्योगों की पहचान।
जो असंभव था सदियों से, अब वह सपना साकार हुआ,
मोदी युग में देश चला, नव भारत तैयार हुआ।
महाकुंभ की दिव्यता हो या कश्मीर में नई बहार,
मोदी राज में देश बना, फिर से एक सशक्त आधार।
हे श्रीराम के भक्त, मोदी जी,............
आपके राज में फिर क्यों.................
वीरों की संतान हम, क्यों मिट गई पहचान?
इतिहास भरा हैं गौरव से, फिर भी सहा अपमान।
पीपा के वंशज हम, क्षत्रिय धर्म निभाया,
फिर भी पहचान पर, प्रश्नचिन्ह क्यों आया?
हमने भी इस माटी के लिए, प्राणों को वार दिया,
त्याग-तपस्या से जीवन को, धर्म-पथ पर धर दिया।
जो लड़ते थे दुश्मनों से, वो आज गुमनाम हैं,
मोदी जी अब आप कहो, क्या ये न्यायसंगत है?
बस आपसे आशा है मोदी जी, न्याय हमें दिलाओ,
पहचान हमारी लौटाकर, स्वाभिमान बढ़ाओ।
आपके नेतृत्व में भारत चमके, हो विकास अपार,
मोदी युग में न्याय मिले, यही है हमारी पुकार!
जो कभी थे शूरवीर, रणभूमि के महानायक,
आज पहचान के लिए, बन बैठे हैं याचक!
नहीं चाहिए दया हमें, बस सच की दो पहचान,
जो कभी क्षत्रिय कहलाए, क्यों मिट गई वो शान?
अहिंसा का मार्ग चुना, पर शौर्य नहीं भुलाया,
फिर क्यों हमारा गौरव, इतिहास ने छिपाया?
हे श्रीराम के भक्त, मोदी जी, ............
Parle G, Bisleri, का हमने निर्माण किया।
जोधपुरी कोट से, भारत का नव श्रृंगार किया।।
जब भारत की शान में, योगदान हैं हमारा।
फिर पहचान से भेदभाव, कैसा हैं यह सारा।।
न्याय की रोशनी में, अब छिपा नहीं अतीत,
हमारी पहचान का, अब हो सही उल्लेखित।
जैसे आपने देश संवारा, सम्मान हमें भी दीजिए,
‘’पीपा क्षत्रिय राजपूतं’’ लिखवाकर, पहचान सही कर दीजिए।
Pipa Kshatriya Rajput | Rajput History & Culture
Welcome to the official blog of Pipa Kshatriya Rajput. Here, you will find historical facts, cultural insights, and important updates about the Rajput warrior community.

0 टिप्पणियाँ
कृपया अपना जिला एवं राज्य का नाम लिखे तथा अपने जिले के अधिक से अधिक पीपा क्षत्रिय राजपूतो के नाम और मोबाइल नंबर हमें ईमेल पर भेजे pipa.kshatriya.rajput1@gmail.com